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आवारा बादल


5 . छैला बाबू 

रवि और विनोद दोनों अपने स्कूल के जमाने की यादों में खोए हुए थे । रवि और विनोद में एक दिन किसी बात को लेकर लड़ाई हो गयी । बात भी बड़ी मामूली सी थी । कक्षा के सभी अध्यापकों का नामकरण अपने अपने हिसाब से बच्चे करते हैं । विनोद को इस नामकरण पर ऐतराज था । विनोद कहने लगा कि श्याम सुंदर मास्साब का नामकरण रवि ने सही नहीं किया । रवि ने उसका नाम रखा था "बौडम" । बस इस नाम पर विनोद को आपत्ति थी । विनोद कहने लगा "क्या होता है ये बौडम ? हमारी तो कुछ समझ में नहीं आया " ?

इस पर रवि ने कहा "तू बौडम का बौडम ही रहा । अगर तेरे समझ में आ जायेगा तो फिर तुझमें और मुझमें  क्या अंतर रह जायेगा" ?  इस बात पर दोनों दोस्त खिलखिलाकर हंस पड़े । 

इतने में "छैला बाबू" मास्साब आ गये । दरअसल उनका नाम तो महेश पारीक था लेकिन वे रहते एकदम छैला बाबू की तरह से थे । चौड़ी मोहरी वाला बैलबॉटम , रिशी कपूर स्टाइलिश बाल और राजेश खन्ना जैसे गर्दन हिलाने की आदत । उन दिनों "बॉबी" फिल्म का बड़ा क्रेज था । ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया की यह डेब्यू मूवी थी । तब बैलबॉटम पहनने का गजब रिवाज था । इस फिल्म में पतले दुबले ऋषि कपूर ने भारी भरकम बैलबॉटम पहना था । जितनी धूम "बॉबी" फिल्म की थी उतनी ही धूम बैलबॉटम की भी थी । महेश पारीक मास्साब भी भारी भरकम बैलबॉटम पहन कर आते थे । ऋषि कपूर की तरह बाल रखते थे और राजेश खन्ना की तरह बात करते थे ।  
उन दिनों में राजेश खन्ना की एक मूवी "छैला बाबू" भी आयी थी तो रवि ने उनका नामकरण "छैला बाबू" कर दिया था । सब बच्चे भी उन्हें छैला बाबू ही कहते थे । छैला बाबू के कक्षा में आने पर सब बच्चे चुपचाप बैठ गये और सामाजिक ज्ञान की पुस्तक निकाल कर पढने लगे । छैला बाबू अशोक महान का पाठ पढ़ाने लगे । 

अचानक विनोद ने रवि को कोहनी मारी । रवि ने चौंक कर आंखों के इशारे से पूछा "क्या है" ? विनोद ने बेला की ओर इशारा किया । रवि ने इशारे से ही पूछा "क्या" ? विनोद ने फुसफुसा कर कहा " वो तुझे देख रही है" । 
"अबे साले बकवास मत कर, मरवाएगा क्या" ? 
"वो सच में तुझे देख रही है" 
"तू चुपचाप अपना काम कर" 
"तू माने चाहे मत माने , पर वो तुझे चोरी चोरी देखती है" 
"हां , देखती होगी । जरूर देखती होगी । शायद यह सोचती होगी कि मेरी पिटाई कैसे लगवानी है । उसका तो यह रोज का काम है । बस, इसीलिए देख रही होगी । और क्या" ? 
"तू साला गधे का गधा ही रहा । वो तो तुझे बड़े प्रेम से देख रही है और तू आलतू फालतू बातें किये जा रहा है । निगाहों निगाहों में फर्क होता है । ये वो पिटाई कराने वाली निगाहें नहीं हैं" । 
"अच्छा । तो तू सब जानता है कि कौन सी निगाहें प्यार से देखने वाली हैं और कौन सी पिटवाने वाली । लगता है कि तू "लव यूनिवर्सिटी" का प्रिंसीपल है" । रवि इस बात पर मुस्कुरा दिया । 
"मैं तो बस इतना जानता हूँ कि बेला तुझे देख रही है और वह भी प्रेम की निगाहों से । बस, इसके सिवाय और कुछ नहीं जानता हूं " । विनोद धीरे से बोला ।

वे दोनों फुसफुसा कर बातें कर रहे थे । उनकी फुसफुसाहट छैला बाबू तक पहुंच गई थी । छैला बाबू गरज उठे "ये कौन बदतमीज है जो फुस फुस कर रहा है" ? 
पूरी कक्षा को जैसे सांप सूंघ गया था । कक्षा में एकदम से सन्नाटा सा छा गया । उन्होंने आगे कहा "खबरदार जो अगर किसी ने जरा सी भी चूं चपड़ की तो खाल खींच लूंगा उसकी" । महेश पारीक मास्साब गरज उठे । 

इतनी बड़ी धमकी मिलने के बाद किसकी हिम्मत थी कि वह जरा सी भी कोई हरकत कर जाये । पिन ड्रॉप साइलेंस हो गया था कक्षा में । छैला बाबू अशोक के शिलालेखों के बारे में फिर से बताने लगे । बच्चे धीरे धीरे पुन : हरकतें करने लग गये । 
इतने में विनोद ने रवि को फिर से कुहनी मारी । रवि ने थोड़ा गुस्से से उसे देखा । विनोद का रटा रटाया जवाब "वो तुझे देख रही है" ।

अबकी बार रवि ने सोचा कि एक बार चैक तो किया जाये कि विनोद सच बोल रहा है या झूठ ? उसने तिरछी नजर से बेला की ओर देखा । वास्तव में बेला उसे ही देख रही थी । अचानक से दोनों की आंखें मिल गयीं । बेला ने अपनी नजरें झुका लीं । बेला के होठों पर मुस्कान तैर गई। रवि भी मुस्कुरा दिया और वापस किताब पढने लगा । 
"मैं कह रहा था ना साले, वह तेरी ओर देख रही है मगर तू मान ही नहीं रहा था । अब तो प्रूफ देख लिया ना तूने ? अब बोल , क्या कहता है तू " ? अब विनोद की चढ बैठी थी । वह रवि के मजे लेने लगा । 
रवि एकदम से चुप ही रहा । उसने कुछ नहीं कहा । बस, किताब की ओर नजरें गड़ाये बैठा रहा । 

"अबे साले , देख देख देख । उसने फिर से देखा कनखियों से" । विनोद फिर से फुसफुसाया । 
रवि ने हलकी सी गर्दन घुमा कर बेला की ओर देखा तो बेला को उसने अपनी ओर ही देखते पाया । दोनों की नजरें फिर से मिल गयीं । बेला फिर से मुस्कुरा दी । रवि वापस पढने लग गया । थोड़ी देर बाद विनोद ने फिर कहा " देख , वह फिर देख रही है" 
"मुझे परेशान मत कर । वो देख रही है तो देखने दे । ऐसा कर , तू गिनती गिने जा । कितनी ही बार वह देखे तू बस गिनता रह । जब सौ हो जाऐं तब मुझे बता देना" । उसने टालने की गरज से ऐसा कह दिया । विनोद को तो उसकी पसंद का काम मिल गया था । उसे ऐसे ही उल्टे सीधे कामों में आनंद आता था । उसने फटाफट गिनना शुरू कर दिया । 

इतने में छैला बाबू को आभास हो गया कि कुछ तो गड़बड़ हो रही है । उसने विनोद को खड़ा कर दिया और पूछा कि बता,  अभी वे कहाँ पढ़ा रहे थे ? 

अचानक प्रश्न पूछने पर  विनोद की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई । वह बता नहीं पाया और चुपचाप खड़ा रहा । इससे छैला बाबू का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया । छैला बाबू ने उसे तुरंत "मुरगा" बन जाने का आदेश सुना दिया । छैला बाबू को जब अचानक गुस्सा आता था तब वह "मुरगा" बन जाने का आदेश दे दिया करता था । विनोद के पास आदेश मानने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं था । एक बार उसने बड़ी कातर निगाहों से छैला बाबू को देखा मगर उनकी भेड़िए सी आंखें देखकर वह सहम गया और चुपचाप मुरगा बन गया । 
इस वाकये से रवि भी डर गया था । इस अप्रत्याशित घटना ने उसे सतर्क कर दिया था । अगर ये छैला बाबू उससे पूछ लेता तो ? तो फिर विनोद की बजाय वह मुरगा बनता । पूरी कक्षा में कितनी बेइज्जती होती उसकी ? उसकी निगाहें बरबस बेला की ओर चली गई । बेला जैसे खिल्ली उड़ा रही थी उन दोनों की । इसी अंदाज में उसके चेहरे की भाव भंगिमा थी । 

शुक्र था कि छैला बाबू का पीरियड खत्म हो गया था । घंटी बज गयी थी और छैला बाबू विनोद को हिदायत देकर चले गये थे । विनोद का चेहरा मुरगा बनने से लाल सुर्ख हो गया था । रवि ने चुटकी लेते हुये कहा "आबे साले, छैला बाबू ने तुझे बनाया तो मुरगा था लेकिन तेरा चेहरा बंदर की तरह लाल सुर्ख क्यूं हो रहा है" ? 

रवि की इस बात पर पूरी कक्षा हंस पड़ी । विनोद को भी शर्म आ गयी । बेला तो हो हो कर हंसने लगी और विनोद को "बंदर" कहकर चिढाने लगी   

अगला पीरियड "काणा मास्साब" का था । हिन्दी पढ़ाते थे वे । मूल नाम तो उनका प्रेमचंद था मगर बचपन में ही उनकी एक एक आंख खराब हो गई थी इसलिए एक ही बल्ब से गाड़ी चला रहे थे अब वे । रवि ने उनका नाम इसी आधार पर "काणा मास्साब" रख दिया था ।

काणे मास्साब दिल के बहुत अच्छे आदमी थे ।  सामान्यतः वे बच्चों की पिटाई नहीं करते थे । अगर कोई बच्चा शैतानी करता था तो वे उस बच्चे को कक्षा में पीछे भेज देते थे और हाथ ऊपर करवा कर खड़ा करवा देते थे । 


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5 Comments

Chetna swrnkar

30-Jul-2022 10:46 PM

Amezing part

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fiza Tanvi

15-Jan-2022 11:49 AM

Good

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रतन कुमार

25-Dec-2021 11:36 PM

मुझे अच्छा लगा छैला बाबू का किरदार

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